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कुछ पंक्तियां इस ब्लॉग के बारे में :

प्रिय पाठक,
हिन्दी के प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग पर आपका स्वागत है.….
ऐसा नहीं है कि हिन्दी में अच्छे ब्लॉग लिखने वालों की कमी है। हिन्दी में लोग एक से एक बेहतरीन ब्लॉग्स लिख रहे हैं। पर एक चीज़ की कमी अक्सर खलती है। जहां ब्लॉग पर अच्छा कन्टेन्ट है वहां एक अच्छी क्वालिटी की तस्वीर नहीं मिलती और जिन ब्लॉग्स पर अच्छी तस्वीरें होती हैं वहां कन्टेन्ट उतना अच्छा नहीं होता। मैं साहित्यकार के अलावा एक ट्रेवल राइटर और फोटोग्राफर हूँ। मैंने अपने इस ब्लॉग के ज़रिये इस दूरी को पाटने का प्रयास किया है। मेरा यह ब्लॉग हिन्दी का प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग है। जहाँ आपको मिलेगी भारत के कुछ अनछुए पहलुओं, अनदेखे स्थानों की सविस्तार जानकारी और उन स्थानों से जुड़ी कुछ बेहतरीन तस्वीरें।
उम्मीद है, आप को मेरा यह प्रयास पसंद आएगा। आपकी प्रतिक्रियाओं की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
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मंगल मृदुल कामनाओं सहित
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

Saturday 18 June 2016

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग गुरु आचार्य बालकृष्ण से ख़ास मुलाक़ात

कामकाजी लोगों के लिए योग


योग के फायदे किसी से छुपे हुए नहीं हैं। शायद ही कोई इन्सान ऐसा हो जो योग को अपने जीवन में अपनाना न चाहता हो  पर नौकरी पेशा लोगों की यह इच्छा अक्सर इच्छा बनकर ही रह जाती है। सबकी एक ही शिकायत होती है कि योग करना  तो चाहते हैं  पर समय नहीं मिलता है। सुबह  देर एक्सट्रा नींद का लोभ तयाग ही नहीं पाते और इस तरह वह दिन कभी नहीं आता कि योग से जुड़ पाएं। क्या करें कॉम्पटीशन  ही इतना है। इसलिए दौड़ तो लगानी ही होगी।

सपने देखना अच्छा है पर उन्हें पूरा करने की जल्दी के चक्कर में अपने शरीर को मशीन बनाना कहाँ तक सही है। लगातार  अपनी सेहत को नज़र अंदाज़ करने से कितनी ही बीमारियां हैं जो शरीर को घेर लेती हैं। ये लाइफ स्टाइल साथ लाता  है थयरॉइड ,हाई ब्लॅड  प्रैशर , माइग्रेन, सर्वाइकल,गर्दन  में दर्द और जकड़न ,फ्रोज़न शोल्डर, बैक पेन आदि।  जब तक शरीर ठीक ठाक चल रहा है उसे खींचते जाते हैं। और जब शरीर बिमारियों से टूट जाता है तो शुरू हो जाते हैं महंगे डॉक्टरों के चक्कर और लगातार चलने वाले टेस्टों का सिलसिला। पर इन दवाइयों से आपकी बीमारी का  जड़ से इलाज नहीं होता येतो सिर्फ आपको दुबारा खड़ा होने लायक ठीक करती हैं। बीमारी वहीँ के वहीँ रहती है। फिर फायदा क्या हुआ दौड़ दौड़ कर एक्स्ट्रा पैसा कमाने का कमाने का। वो तो चला गया दवाइयों और महंगे अस्पतालों में।

ज़रुरत है अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव करने की.हमारा लाइफ स्टाइल कैसा होना चाहिए? क्या कुछ आसान योग करके शरीर को ठीक रखा जा सकता है? ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब ढूंढने हम पहुँच गए योग गुरु श्री आचार्य बालकृष्ण जी के पास:




प्रश्न: आचार्य जी कामकाजी लोग योग तो करना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण कर नहीं पाते। क्या ऐसे कुछ आसान योगासन हैं जिन्हे कम समय में किया सकता है? आप क्या सलाह देंगे?

उत्तर : जीवन शैली को हम योग  कह  सकते हैं। मनुष्य चाहे नौकरी करता हो या व्यवसाय करता हो। सभी कार्यों को करने के लिए शरीर एक साधन है यदि शरीर ठीक रहेगा तो सारे कार्य ठीक होंगे। पर आजकल ऐसा माहौल  बन गया है कि इंसान दौड़ तो लगा रहा है पर क्यों दौड़ रहा है उसको भी पता नहीं है। ऐसा नहीं है की सफलता के लिए दौड़ना बेकार है पर हमें यह समझना होगा की यह दौड़ लक्ष्य विहीन न हो. मान भी लें की ऐसा करके हमने एक्स्ट्रा पैसे कमा  भी लिए तो वह पैसे महंगे डाक्टरों और दवाइयों में चले जाते हैं। अगर हम अपने शरीर को स्वस्थ रखेंगे तो पैसे भी बचाएंगे देश के विकास में भी सहायता करेंगे. इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि सुबह का आधा घंटा अपने शरीर पर लगाया तो वह समय ख़राब हुआ। बल्कि यह सोचना चाहिए कि  ऐसा करने से हमने अपने जीवन के कितने ही वर्ष बचा लिए और एक बड़ी रक़म भी डाक्टरों को देने से बचा ली। अगर यह फीलिंग,यह जागरूकता हम अपने, और लोगों के अंदर पैदा कर लें तो सबके पास समय निकल आएगा। कोई कितना भी व्यस्त क्यों न हो अपनी पसंद, अपने शौक़ के लिए समय निकल ही लेता है। ज़रुरत है अपनी सेहत को वरीयता क्रम में सबसे ऊपर रखने की। जब शरीर ही ठीक नहीं होगा तो कोई काम ठीक नहीं होगा। ये तो रही समय की बात

अब योग की बात करते हैं। अगर सुबह आधा घण्टा आप योग के लिए निकाल पाते हैं तोभी काफी है। आप प्राणायाम कर सकते हैं।  कपालभाती, भस्त्रिका,अनुलोम विलोम आदि। यदि आप सूर्य नमस्कार दस बार भी कर लें तो भी काफी है। पर जो भी करें निरंतरता के साथ करें।

प्रश्न: जो लोग कम्प्यूटर पर लम्बे समय तक काम करते हैं उन्हें गर्दन,कंधे और कमर में दर्द और जकड़न की समस्या अक्सर सताती है। उनके लिए कुछ आसान योग बताएं जिन्हे ऑफिस में बैठ कर किया जा सके।

उत्तर : ऑफिस में लगातार कम्प्यूटर पर ऑंखें गड़ाए काम करने से आँखों की मांसपेशियां थक जाती हैं। उन्हें आराम देने और नेत्र ज्योति को बढ़ाने के लिए

मैं आपको योग के कुछ सरल आसान बताता हूँ जिन्हें आप ऑफिस में अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही कर सकते हैं। ये आँखों को रिलेक्स करने के लिए बहुत लाभदायक आसान है:

पहला आसन

  1. अपनी कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं

  2. अब 1 मिनट के लिए ऑंखें बंद रखें

  3. ऑंखें खोलें और बिना गर्दन हिलाए पहले की पुतलियों को दायें ओर ले जाएं फिर बाईं ओर ले जाएं। यह प्रक्रिया दस बार दुहराएँ

  4. अब एक मिनट का विराम लें और ऑंखें बंद कर लें।

दूसरा आसन

  1. अब बिना गर्दन हिलाए आँखों की पुतलियों को गोल गोल घुमाएं

  2. एक बार दें और से दूसरी बार बैन ओर से।

  3. यह आसान 10 बार करें



तीसरा आसन

  1. अपनी कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं

  2. अब 1 मिनट के लिए ऑंखें बंद रखें

3 ऑंखें खोलें और बिना गर्दन हिलाए पहलेआँखों की पुतलियों से नीचे की ओर  देखें फिर ऊपर की ओर देखें।यह प्रक्रिया दस बार दुहराएँ

यह  आसन आँखों की मासपेशियों को आराम देते हैं और तनाव दूर करते हैं

प्रश्न: आचार्य जी टेक्नोलॉजी के इस दौर में लोग कम्प्यूटर,लेपटोप,स्मार्टफोन आदि के इतने आदी  हो गए हैं कि एक को छोड़ते हैं तो दूसरे को पकड़ कर बैठ जाते हैं। जिनसे कई समस्याएं हो रही हैंजैसे: सर्विकल,माइग्रेन,गर्दन में दर्द आदि। आजके समय में इनको त्यागा भी नहीं जा सकता है। क्या कोई उपाय नहीं है जिससे इनपरेशानियों से बचा जा सके?



उत्तर:सुचना क्रांति के इस दौर में जब सारा विश्व एक गाँव  में सिमट कर रह गया है। जब जानकारियों की बाढ़ सी आई हुई है। सब कुछ एक क्लिक दूर भर है। ऐसे में लोग इन तकनीकों का लगातार प्रयोग करने के लती हो जाते हैं. ऐसे में यह सोचना बेहद आवश्यक है की हम जो प्रतिदिन कितने ही घंटे इन गैजेट्स के साथ बिताते हैं उनमे से ज़रूरी कितने है और कितना समय हम फालतू चीज़ों में बर्बाद कर देते हैं। जब लोग ऑफिस से आते है तो लैपटॉप खोल कर बैठ जाते हैं.ज़्यादातर लोग लैपटॉप का इस्तेमाल गलत ढंग से बैठ कर करते हैं जिससे अनेक समस्याएं पैदा होती हैं। वहीँ लैपटॉप बंद करते हैं तो मोबाइल पर वाट्स एप्प या फेसबुक पर घंटों बिता देते हैं। हमें यह आभास ही नहीं होता की जब हम अपने स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे होते हैं तब हम अपनी गर्दन को गलत ढंग से झुकाए होते हैं। जिसके कारण गर्दन में दर्द, कंधे और पीठ में  समस्या पैदा होती है।

हमें यह समझना होगा की हमारे लिए क्या और कितना आवश्यक है। स्वम से पूछें। अपने आप को एकाग्र करें और जितना ज़रूरी हो उतना ही इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स और गैजेट्स का उपयोग करें। हमारे शास्त्रों में कहा गया है :अति सर्वत्र वर्जयेत।

इन समस्याओं को दूर करने के लिए आप निम्न आसान कर सकते हैं।

योगासन-गर्दन में दर्द के लिए

कैसे करें आसन
- सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में सीधा बैठ जाएं।
- गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए गर्दन को झुकाएं और ठुड्डी से छाती छूने का प्रयास करें।
- अब सांस सिर को वापस सीधा रखें।
- सांस भरते हुए सिर पीछे की ओर ले जाएं और ‌कुछ सेकंड के बाद सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में सिर रखें।
- इसी तरह सांस भरते हुए दाईं ओर गर्दन घुमाएं, फिर सांस छोड़ते हुए वापस सीधी गर्दन कर लें।
- इसी तरह दाईं ओर सांस भरें और कुछ सेकंड बाद सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
- अब इसी प्रक्रिया को कम से कम 5-6 बार करें।

सावधानी
इस आसन को स्पोंडलाइटिस व हाई बीपी के मरीज डॉक्टरी परामर्श के बाद ही करें।

योगासन-कमर दर्द  के लिए

आसन की विधि

- पीठके बल सीधा लेट जाएं, दोनों हाथ शरीर के बगल में सीधे रखें।

- हथेलियों को जमीन पर सटाकर रखें।

- अब दोनों घुटों को मोड़ लें जिससे सिर्फ तलवे ही जमीन से छुएं।

- सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाने की कोशिश करें।

- कोशिश करें कि आपका सीना ठुड्डी को छुए।

- इस दौरान बाजुओं को कोहनी से मोड़ लें और हथेलियों को कमर के नीचे रखकर सपोर्ट दें।

- कुछ क्षण बाद कमर नीचे लाएं और पीठे के बल सीधे लेट जाएं।



सावधानी

स्पोंडलाइटिस के रोगी या किसी चोट के बाद गर्दन व कमर की समस्या से परेशान लोग डॉक्टर से परामर्श लेकर ही यह आसन करें।

सेतुबंध आसन के फायदे

- यह कमर और रीढ़ की हड्डी से संबंधित रोगों को दूर करता है।

- ज्वाइंट्स, गर्दन, कमर, बाजू और हथेलियों के दर्द को दूर करता है।

- गैस्ट्रिक के रोगियों के लिए फायदेमंद है।

- स्ट्रेस दूर करता है।

- पेट से संबंधित रोगों से दूर रखता है।

- इससे अच्छी नींद आती है।



योगासन-सिरदर्द, माइग्रेनके लिए



खासतौर पर माइग्रेन के उपचार में योग की भूमिका का महत्व चिकित्सक आज खुलकर मानते हैं। अमेरिका के 'नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ' की 'नेशनल हेडेक फाउंडेशन' भी योग के इसी महत्व को समझते हुए अपने शोधों के आधार पर इसे माइग्रेन से छुटकारा पाने में कारगर मानती है।

ऐसे कारगर है प्राणायाम

प्राणायाम शरीर में सांसों की क्रियाओं पर नियंत्रण करता है। जब आप प्राणआयाम करते हैं तो शरीर के सभी अंगों में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार होता है, खासतौर पर गर्दन और मस्तिष्क में। इससे माइग्रेन के अटैक या सिरदर्द की समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है।



गहरी श्वास लें

रोज सुबह या काम के दौरान ब्रेक लेते समय तीन मिनट तक सीधे बैठकर धीरे-धीरे गहरी सांस खींचने और छोड़ने से भी सिरदर्द या माइग्रेन से निपटने में आसानी होती है। इस प्रक्रिया से शरीर का तनाव भी कम होता है और आप तरोताजा महसूस करेंगे।



कपालभाति

कपालभाति भी इस समस्या से निजात के लिए बहुत कारगर प्राणायाम है। पद्मासन या सुखासन में सीधे बैठ जाएं और गहरी सांस खीचें, फिर जल्दी-जल्दी सांस छोड़ें। प्रतिदिन 10 से 15 मिनट कपालभाति का अभ्यास आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।



अनुलोम-विलोम

इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। फिर अपना दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के के दाएं छिद्र को बंद कर लें और बाएं छिद्र से भीतर की ओर सांस खीचें। अब बाएं छिद्र को अंगूठे के बगल वाली दो उंगलियों से बंद करें। दाएं छिद्र से अंगूठा हटा दें और सांस छोड़ें। अब इसी प्रक्रिया को बाएं छिद्र के साथ दोहराएं। प्रतिदिन इसे 5 से 10 मिनट तक करें।



भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम के दौरान सुखासन में सीधे बैठ जाएं। दोनों कानों को अंगूठों से बंद करें व मध्य की दो उंगलियों को आंखों पर रखें। अब गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए गले से आवाज निकालें। इस प्रक्रिया के दौरन मुंह बंद रखें और श्वास की सारी क्रिया नाक से ही करें।



जल नेती

जल नेती भी माइग्रेन या सिरदर्द से राहत के लिए बेहतरीन उपाय है। इसे किसी योग्य प्रशिक्षक के संरक्षण में ही करें।

प्रश्न : आचार्य जी कामकाजी लोगों के जीवन में तनाव अधिक होने के कारण अक्सर डिप्रेशन की समस्या पैदा हो जाती है। आप उनके लिए कुछ  सरल आसान बताएं जिनसे तनाव को दूर किया जा सके ?

उत्तर :गलत जीवनशैली की देन मानी जाने वाली समस्याओं में आज अवसाद की दिक्कत सबसे आम है। अपने फास्ट ट्रैक रुटीन में आप तनाव से इतने घिरे रहते हैं कि कब आपका तनाव अवसाद में बदल जाता है पता ही नहीं चल पाता। कुछ ऐसे आसन हैं जो अवसाद को खुद से कोसों दूर रखने में आपकी मदद करेंगे।

मत्स्यासन
मत्स्यासन की मदद से आप तुरंत तनाव से छुटकारा पाएंगे और तरोताजा महसूस करेंगे। इस आसन से शरीर को थकावट नहीं होती और रक्त संचार अच्छा रहता है। इस आसन के लिए पहले पद्मासन की अवस्था में बैठें। फिर दोनों कोहनियों की सहायता से पीठ के बल लेटने का प्रयास करें। पीठ और छाती ऊपर उठाएं और घुटने जमीन पर टिकाने का प्रयास करें। अब हाथो से पैर के अंगूठे को पकड़कर कोहनी को भूमि पर टिकाएं। श्वास अंदर लें। आसन छोड़ते समय जिस तरह से शुरू किया था उसी स्थिति में वापस आएं या कंधे व सिर को भूमि पर टिकाते हुए पैरों को सीधा कर शवासन में लेट जाएं।

पर्वतासन
इससे मन को स्थिर रखने व स्ट्रेस से निजात पाने में आसानी होती है। पर्वतासन के लिए सुखासन में बैठ जाएं।.दोनों हाथों को नमस्ते के आकार में जोड़ते हुए ऊपर की ओर ले जाएं। गहरी सांस लेते हुए कंधे, बाजू और पीठ की मांसपेशियों में एक साथ खिंचाव महसूस करें। इस स्थिति में एक से दो मिनट तक रहें। सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं। प्रतिदिन 10 से 15 बार ये आसन करें।

ब्रह्म मुद्रा आसन
इस आसन से रीढ़ की हड्डी व गर्दन का तनाव कम होता है और मस्तिष्क में रक्त संचार तेज होता है। अवसाद की स्थिति से उबारने में यह बहुत कारगर आसन है। इस आसन को करने के लिए पहले पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन में अच्छी तरह से बैठ जाएं। फिर गर्दन सीधी रखते हुए धीरे-धीरे दाईं ओर ले जाएं। कुछ देर रुकें और फिर गर्दन को सीधे बाईं ओर ले जाएं। फिर कुछ क्षण बाद पुनः दाईं ओर सिर घुमाएं। अब सिर को 3-4 बार क्लॉकवाइज और उतनी ही बार एंटी क्लॉकवाइज घुमाएं।

सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार आपके शरीर और मन को संतुलित रखने, तरोताजा करने और ऊर्जा प्रदान करने के लिए बेहद कारगर है। रोज दिन की शुरूआत इससे करें। सूर्य नमस्कार में 12 सरल आसन होते  हैं।

सूर्य नमस्कार की विधि

  1. दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों।

  2. श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।

  3. अब श्वास छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं जमीन का स्पर्श करें।

  4. श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। गर्दन को अब पीछे की ओर झुकाएं व कुछ समय रुकें।

  5. अब श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं जिससे दोनों पैरों की एड़ियां मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें।

  6. अब श्वास भरते हुए दंडवत लेट जाएं।

  7. अब सीने से ऊपर के भाग को ऊपर की ओर उठाएं जिससे शरीर में खिंचाव हो।

  8. फिर पीठ के हिस्से को ऊपर उठाएं। सिर धुका हुआ हो और शरीर का आकार पर्वत के समान हो।

  9. अब पुनः चौथी प्रक्रिया को दोहराएं यानी बाएं पैर को पीछे ले जाएं।

  10. अब तीसरी स्थिति को दोहराएं यानी श्वास धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें।

  11. श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर तानें और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।

  12. अब फिर से पहली स्थिति में आ जाएं।

1 comment:

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