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कुछ पंक्तियां इस ब्लॉग के बारे में :

प्रिय पाठक,
हिन्दी के प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग पर आपका स्वागत है.….
ऐसा नहीं है कि हिन्दी में अच्छे ब्लॉग लिखने वालों की कमी है। हिन्दी में लोग एक से एक बेहतरीन ब्लॉग्स लिख रहे हैं। पर एक चीज़ की कमी अक्सर खलती है। जहां ब्लॉग पर अच्छा कन्टेन्ट है वहां एक अच्छी क्वालिटी की तस्वीर नहीं मिलती और जिन ब्लॉग्स पर अच्छी तस्वीरें होती हैं वहां कन्टेन्ट उतना अच्छा नहीं होता। मैं साहित्यकार के अलावा एक ट्रेवल राइटर और फोटोग्राफर हूँ। मैंने अपने इस ब्लॉग के ज़रिये इस दूरी को पाटने का प्रयास किया है। मेरा यह ब्लॉग हिन्दी का प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग है। जहाँ आपको मिलेगी भारत के कुछ अनछुए पहलुओं, अनदेखे स्थानों की सविस्तार जानकारी और उन स्थानों से जुड़ी कुछ बेहतरीन तस्वीरें।
उम्मीद है, आप को मेरा यह प्रयास पसंद आएगा। आपकी प्रतिक्रियाओं की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
आपके कमेन्ट मुझे इस ब्लॉग को और बेहतर बनाने की प्रेरणा देंगे।

मंगल मृदुल कामनाओं सहित
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

Thursday 18 June 2015

दा ग्रेट हिमालय कॉलिंग....पांचवां दिन, नग्गर

The great Himalayas calling....Naggar Castle
Day-05

पांचवां दिन - नग्गर


Naggar castle

इस सीरीज़ की पिछली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें: दा ग्रेट हिमालयकॉलिंग....चौथा दिन-कुल्लू - देकपो शेडरूपलिंग मोनेस्ट्री
नग्गर कैसल

विश्व धरोहर नग्गर कैसल में हर साल देशी और विदेशी पर्यटक ठहरना पसंद करते ही हैं साथ ही यह जगह हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को भी खूब लुभाती है। यहाँ कई मशहूर फिल्मों की शूटिंग हुई है। जैसे जब वी मेट, माचिसतेरे नाल लव हो गया आदि। काष्ठकुणी शैली की बनी इस इमारत की अपनी ही खासियत है। यहां पर प्राचीन संग्रहालय भी है जो पर्यटकों का आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। संग्रहालय में यहां की प्राचीन संस्कृति के दर्शन होते हैं। इन सभी के कारण यहां पर पर्यटक  ठहरना पसंद करते हैं.इस कैसल में एक मंदिर भी है। इसके रेस्टोरेन्ट का कुछ हिस्सा झरोखे स्टाइल में बनाया गया है। जहाँ बैठ कर डिनर एन्जॉय किया जा सकता है। इस जगह से पूरी कुल्लू वैली दिखाई देती है.

Tample inside Naggar castle


कुल्लू की प्राचीन राजधानी रहे ऐतिहासिक गांव नग्गर की प्राचीन इमारत नग्गर कैसल आज हिमाचल के विश्व धरोहर में से एक है। इसकी खासियत के चर्चे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। इसी कारण विदेशी पर्यटक नग्गर कैसल को देखने के लिए लालायित रहते हैं। नग्गर कैसल प्राचीन काष्ठकुणी शैली में बनी इमारत अपने आप में अद्भुत है।यहाँ के लोग इस ईमारत से जुडी एक कहानी सुनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इतना बड़ा कैसल कभी सिर्फ एक बन्दूक के लिए बिका था। हुआ यूं कि एक बार इस कैसल को देखने एक अँगरेज़ आया और उस अंग्रेज को यह इमारत इतनी भा गई  कि यहां के राजा को एक बंदूक का लालच देकर उसने इसे खरीद लिया था। जानकारी के अनुसार नग्गर राजा जगत सिंह के अधीन था। 1846 में राजा ज्ञान सिंह ने एक पुरानी बंदूक के लिए नग्गर कैसल को यहां रहे एक अंग्रेज सहायक उपायुक्त मेजर को बेच दिया था।

 
Accommodation@ Naggar Castle

 आज पर्यटन निगम इसे होटल के रूप में प्रयोग कर रहा है और सही माइनो में देखा जाए तो यह जगह सरकारी तौर तरीके के चलते अपनी चमक खो राखी है. ।मैंने यहाँ  पहले कहीं पढ़ा था कि  होटल के रूप में नग्गर कैसल की अलग ही खासियत है जो अन्य होटलों में नहीं है। इसलिए यहाँ आने से पहले मेरे मन में भी इस जगह को लेकर बहुत उम्मीदें थीं पर इस जगह को जितना अच्छा होना चाहिए था यह उस उम्मीद पर खरी नहीं उतर पाई।

 
Heritage @Naggar casle

एनके बाली, एजीएम, पर्यटन विकास निगम कुल्लू के अनुसार  नग्गर कैसल का निर्माण कुछ इस तरह हुआ था.नग्गर गांव 1460 सालों तक कुल्लू रियासत का केन्द्र रहा है। 16वीं शताब्दी में राजा सिद्दी सिंह ने नग्गर कैसल का निर्माण कुल्लू की प्राचीन काष्ठकुणी शैली में किले के रूप में शुरू किया। इसके निर्माण के लिए पत्थरों को ब्यास नदी के दाएं तट पर स्थित बड़ागढ़ क्षेत्र से राजा भोसल के दुर्गनुमा महल के खंडहरों से लाया गया था। एक अनुमान के आधार पर इसके निर्माण में 2000 से अधिक देवदार के पेड़ों का प्रयोग हुआ है। इसके निर्माण में लोहे की एक भी कील का प्रयोग नहीं हुआ है। यह किला इतनी मजबूती से बना है कि आज तक जितने भी भूकंप हुए हैं, उससे इमारत को कोई नुक्सान नहीं हुआ है। 1905 का भूकंप भी इस इमारत का बाल बांका नहीं कर पाया था।

 
Main campus Naggar castle

नग्गर कैसल में कुल 17 कमरे हैं। इनके नाम नम्बरों के आधार पर नहीं बल्कि नाम के आधार पर रखे गए हैं। जानकारी के अनुसार 4 बिस्तरों वाले कमरे का नाम शाही सुईट, ओक हिज हाईनैस सुईट, हर हाईनैस सुईट, ट्रगोफन सुईट, ग्रीन फील्ड सुईट, रिवर ब्यू सुईट, कोर्ट यार्ड सुईट, फोजल पिक सुईट, बड़ागढ़ सुईट, फोरैस्ट ब्यू, त्रिपुरा सुईट, चंद्रखणी सुईट, कैसल ब्यू सुईट तथा देविका सुईट आदि नाम कमरों के रखे गए हैं। एक रात के ठहरने का किराया थोड़ा महंगा  है।

 
Few information about Naggar

ऐसे पहुंचें नग्गर कैसल


कुल्लू मुख्यालय से दाएं और बाएं तट की ओर से नग्गर 20 किलोमीटर दूर है। पतलीकूहल से दाएं तरफ बाईपास से नग्गर पहुंचा जा सकता है। नग्गर बस स्टैंड से 2 किलोमीटर दूरी पर रोरिक आर्ट गैलरी से पहले नग्गर कैसल आता है।
फिर मिलेंगे दोस्तों, ब्यास सैक्टर के अगले पड़ाव के कुछ अनछुए पहलुओं के साथ,

तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त



डा० कायनात क़ाज़ी



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